Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
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सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
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सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं shiv chalisa in hindi भागीरथ भारी ।
नन्दि गणेश shiv chalisa lyricsl सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥